हिंदी

कला स्नातक | बी.ए.
Language : English |  Hindi

हिंदी साहित्य में स्नातक पदवी का पाठ्यक्रम तीन वर्ष (छह सत्र) का है। इस पाठ्यक्रम में हिंदी गद्य एवं काव्य, हिंदी साहित्य का इतिहास, भाषा विज्ञान, व्याकरण, मीडिया, उत्तर आधुनिक विमर्श के साथ प्रयोजनमूलक हिंदी और लेखन कौशल भी समाविष्ट है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाना तथा हिंदी साहित्य के प्रति अभिरुचि जागृत करना है।

पाठ्यक्रम

प्रथम वर्ष (सत्र - १)
  • कहानी विधा के माध्यम से मानवता के विभिन्न आयामों से अवगत कराना।
  • मानवीय समाज में व्याप्त विसंगतियों के प्रति जागरुक करना।
  • विविध रचनाकारों के कथ्य व शिल्प विधान से रूबरू कराना।
  • निबंध - लेखन कौशल में निपुण बनाना।
प्रथम वर्ष (सत्र - २)
  • उपन्यास विधा के माध्यम से मानव जीवन में होने वाली विविध गतिविधियों से परिचित कराना।
  • समाज की समसामयिक समस्याओं से अवगत कराना।
  • पत्र - लेखन [औपचारिक - एवं अनौपचारिक]
द्वितीय वर्ष (सत्र तिसरे)

[कबीर, सूर, मीरा, तुलसी आदि कवि एवं रश्मिरथी - दिनकर]

  • मध्यकालीन कवियों की विचारधारा के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना।
  • मध्यकालीन काव्य के माध्यम से मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा करना।
  • भक्ति काव्य के जागरण और सुधार कार्य से परिचित कराना।
  • संवाद-लेखन संवाद कौशल का विकास।
  • हिंदी के प्रयोगपरक रूप एवं व्यावसायिक पत्र-लेखन का व्यावहारिक ज्ञान देना।
  • पारिभाषिक शब्दावली व तकनीकी प्रयोग में कुशल बनाना।
  • अनुवाद कौशल में दक्ष बनाना।
द्वितीय वर्ष (सत्र - ४)

[निराला, बच्चन, मंगलेश डबराल, भवानीप्रसाद मिश्र आदि]

  • आधुनिक कवियों की काव्यानुभूति से परिचित कराना।
  • मानवीय समाज में व्याप्त विसंगतियों के प्रति सहानुभूति की भावना का निर्माण करना।
  • रिपोर्ताज़ लेखन। रिपोर्ट कौशल का विकास।
  • जनसंचार के परंपरागत और आधुनिक माध्यमों का व्यावहारिक ज्ञान देना।
  • जनसंचार माध्यम के माध्यमोपयोगी लेखन में पारंगत बनाना।
तृतीय वर्ष (सत्र - ५)
  • आदिकालीन हिंदी साहित्य की पृष्ठभूमि से परिचित कराना।
  • हिंदी के मध्यकालीन साहित्य के इतिहास के विकास-क्रम की जानकारी देना।
  • इन विधाओं के माध्यम से आधुनिक काल की संवेदनाओं को समझाना।
  • दलित एवं स्त्री चेतना से परिचित होना।
  • हिंदी के प्रयोगपरक रूप एवं व्यावसायिक पत्र-लेखन का व्यावहारिक ज्ञान देना।
  • पारिभाषिक शब्दावली व तकनीकी प्रयोग में कुशल बनाना।
  • काव्यशास्त्र की परंपरा का ज्ञान कराना।
  • छंद एवं अलंकार का परिचय देना।
  • भाषाविज्ञान की मूल अवधारणाओं का परिचय कराना।
  • हिंदी भाषा के विकास का ज्ञान कराना।
  • विद्यार्थियों को जनसंचार माध्यमों की कार्यशैली का व्यावहारिक अनुभव एवं उपयोग कराना।
तृतीय वर्ष (सत्र - ६)
  • हिंदी के आधुनिक काल की काव्य प्रवृत्तियों का परिचय देना।
  • हिंदी के आधुनिक काल के गद्य साहित्य के इतिहास के विकास-क्रम से परिचित कराना।
  • दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों के माध्यम से समाज की समसामयिक विषमताओं से परिचित कराना।
  • हिंदी पत्रकारिता जगत का व्यावहारिक परिचय कराना।
  • अनुवाद कौशल में दक्ष बनाना।
  • आधुनिक साहित्य को प्रभावित करने वाली विचारधाराओं - गांधीवाद, मार्क्सवाद आदि का परिचय कराना।
  • स्त्री, दलित आदि विमर्शों का हिंदी साहित्य पर प्रभाव का अध्ययन करना।
  • भाषा के व्याकरण सम्मत रूप से अवगत कराना।
  • भाषा के सही प्रयोग की जानकारी देना।
  • प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया संबंधी व्यावहारिक लेखन कौशल का विकास करना।

भूतपूर्व छात्र

हिंदी परिसभा

हिंदी परिसभा सह-पाठ्यक्रम एवं पाठ्यक्रमेतर गतिविधियों के लिए सक्रिय साहित्यिक मंच है। प्रेमचंद जयंती समारोह एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कवि-सम्मेलन इस सभा की उच्चस्तरीय गतिविधियाँ हैं। पिछले ५५ वर्षों से निरंतर परिसभा द्वारा अंतर्महाविद्यालयीन राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आशुभाषण स्पर्धा एवं प्रेमचंद कथा-कथन स्पर्धा आयोजित की जा रही है। विद्यार्थियों की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक अभिरुचि को विकसित करने में परिसभा की सक्रिय भूमिका है।

पाठ्यक्रम का उद्देश्य

  • विद्यार्थियों को सक्षम एवं कौशल्यपूर्ण बनाना।
  • विद्यार्थियों को भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से परिचित कराना।
  • विद्यार्थियों को संभाषण कौशल तथा तकनीकी हिंदी [ कंप्यूटर एवं इंटरनेट ] में दक्ष बनाना।
  • मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा करना।
  • विविध अवधारणाओं, वैश्वीकरण, बाज़ारवाद तथा दलित, स्त्री एवं आदिवासी आदि सामयिक विमर्शों से अवगत कराना।
  • शोधपरक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देना।